बीस बरस की काली रात, आदिवासियों का खोता हुआ भविष्य: कार्तिक उरांव

बीसवीं सदी में आदिवासी समाज की स्थिति और अधिकारों पर बहस ने भारतीय राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को प्रभावित किया। डॉ. कार्तिक उरांव जैसे समाज सुधारकों ने इस मुद्दे को लेकर गंभीर विचार किए। उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि कैसे आदिवासी समाज परिवर्तन के दौर में भी अपनी पहचान, अधिकार और संस्कृति से वंचित…

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डिलिस्टिंग और बीस बरस की काली रात

पिछले कुछ महिनों से आदिवासियों के बीच डिलिस्टिंग (धर्मांतरित आदिवासियों को अनुसुचित जनजाति सूची से बाहर करने की मांग) चर्चा में है। इसको लेकर लोकसभा में भी बात को उछाला गया। इस मांग (आंदोलन) की शुरूवात पुर्वोत्तर भारत से शुरू होती है, जहां अधिकांश आदिवासी धर्म परिवर्तन कर चुके है। वहीं मध्य भारत में इस…

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