प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ केवल आध्यात्मिकता और आस्था का संगम नहीं रहा, बल्कि इसने कई लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि के नए द्वार भी खोले। नैनी के अरैल क्षेत्र के एक नाविक परिवार ने अपनी मेहनत से ऐसा इतिहास रचा, जिसकी चर्चा अब पूरे प्रदेश में हो रही है।
30 करोड़ की कमाई: महरा परिवार की ऐतिहासिक सफलता
महाकुंभ के 45 दिनों में इस नाविक परिवार ने नाव संचालन के जरिए लगभग 30 करोड़ रुपये की कमाई की। इस असाधारण उपलब्धि का उल्लेख उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में भी किया।
महरा परिवार, जो पीढ़ियों से नाव संचालन के व्यवसाय में है, इस महाकुंभ में अपनी सौ से अधिक नावों के माध्यम से श्रद्धालुओं को संगम स्नान के लिए ले जाने का कार्य कर रहा था। महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जिससे नावों की मांग चरम पर रही। प्रत्येक नाव से औसतन 7 से 10 लाख रुपये की कमाई हुई, और कुल आंकड़ा 30 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस सफलता पर पूरे परिवार में हर्ष का माहौल है।
500 से अधिक लोग नाव संचालन से जुड़े
इस परिवार के करीब 500 सदस्य नाव संचालन के कार्य में संलग्न हैं। अपनी नावों के अलावा, इन्होंने आसपास के क्षेत्रों से भी नावें मंगवाईं, ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को संगम स्नान का अनुभव कराया जा सके। महरा परिवार का मानना है कि निषाद समुदाय को पहली बार इतनी व्यापक पहचान और सम्मान मिला है।
सरकार के प्रयासों की सराहना
परिवार की वरिष्ठ सदस्य शुक्लावती का कहना है कि सरकार द्वारा किए गए कुशल प्रबंधन और सुविधाओं के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी, जिससे यह ऐतिहासिक कमाई संभव हो सकी। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया, जिनकी नीतियों के चलते निषाद समुदाय को रोजगार के बेहतर अवसर मिले।
महाकुंभ: रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन केवल श्रद्धा और संस्कृति का प्रतीक नहीं होते, बल्कि ये लाखों लोगों के लिए आजीविका के अवसर भी पैदा करते हैं। नाविक समुदाय की यह सफलता दर्शाती है कि परंपरागत व्यवसाय भी, यदि उन्हें सही अवसर और संसाधन मिलें, तो आर्थिक क्रांति ला सकते हैं।