मध्यप्रदेश: रिहा कर दो, मैं मां बनना चाहती हूं, पति की रिहाई के लिए हाई कोर्ट पहुंची पत्नी

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक महिला ने याचिका दायर कर अपने पति को जेल से रिहा करने की मांग की है.याचिका में महिला ने कहा है कि वह संतान सुख चाहती है. संतान प्राप्ति हमारा ‘मौलिक अधिकार’ है.

महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जबलपुर में सरकार द्वारा संचालित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को 5 डॉक्टरों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया. यह टीम जांच करेगी कि महिला याचिकाकर्ता मां बनने के लिए फिट है या नहीं.

सरकारी वकील सुबोध कथार ने बताया कि हाईकोर्ट ने महिला द्वारा दायर याचिका पर 27 अक्टूबर को आदेश पारित किया. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का पति किसी आपराधिक मामले में जेल में है और महिला संतान सुख चाहती है, जिसके लिए उसने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार संतान पैदा करने के अपने मौलिक अधिकार का दावा किया है.

वकील ने कहा कि महिला ने अपने पति को जेल से रिहा करने की मांग की है. कथार ने कहा कि महिला अपने रिकॉर्ड के अनुसार रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है. कृत्रिम या प्राकृतिक रूप से उसके मां बनने की कोई संभावना नहीं है.

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डॉक्टरों की टीम करेगी जांच, डीन सौंपेंगे रिपोर्ट

याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम से मेडिकल जांच कराई जाए कि याचिकाकर्ता मां बनने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है या नहीं.

याचिकाकर्ता को सात नवंबर को कॉलेज के डीन के सामने पेश होने को कहा गया. डॉक्टरों की टीम में तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक मनोचिकित्सक और एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट होगा. डीन 15 दिनों के भीतर इस मामले की रिपोर्ट सौंपेंगे. कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को तय की है.

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