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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दिए बीते 10 वर्षों के विवादित आदिवासी भूमि सौदों की जांच के आदेश

मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे और उनके शोषण के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में ग्वालियर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब कुछ दबंगों ने एक आदिवासी व्यक्ति को जबरन कोर्ट से बाहर ले जाने की कोशिश की।

अदालत में हंगामा, जज हुए हैरान

यह मामला अशोकनगर जिले से जुड़ा है, जहां छोटेलाल नाम के एक आदिवासी व्यक्ति ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दायर कर अपनी पत्नी मुन्नीबाई को छुड़ाने की मांग की थी। छोटेलाल ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी को कुछ प्रभावशाली लोगों ने बंधक बना लिया है।

हालांकि, जब कोर्ट ने मुन्नीबाई से पूछताछ की, तो मामला और भी गंभीर हो गया। सुनवाई के दौरान ही पूर्व सरपंच हरदीप रंधावा के समर्थक गौरव शर्मा और धर्मपाल शर्मा कोर्ट रूम में घुस गए और जबरन छोटेलाल को बाहर ले जाने की कोशिश की। यह देख जजों ने कड़ी नाराजगी जताई और तुरंत सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश दिए।

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पत्नी ने किया भू-माफिया के चंगुल का खुलासा

कोर्ट में मुन्नीबाई ने बताया कि वह किसी के कब्जे में नहीं थी बल्कि अपने भाई के घर रह रही थी। उसने आरोप लगाया कि पूर्व सरपंच हरदीप रंधावा उस पर जमीन बेचने का दबाव बना रहा था, जिससे बचने के लिए वह भाई के घर चली गई।

यह मामला अशोकनगर जिले की ईसागढ़ तहसील के ग्राम अकलौन, बृजपुरा और कुलवर्ग में स्थित लगभग 4.87 हेक्टेयर भूमि से जुड़ा है, जो मुन्नीबाई के नाम पर दर्ज है। उसने खुलासा किया कि उसका पति खुद भू-माफिया के चंगुल में बंधुआ मजदूर बना हुआ है और उसकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है।

मुन्नीबाई ने कोर्ट को बताया कि दोनों पति-पत्नी कई सालों से भू-माफिया हरदीप सिंह रंधावा के कब्जे में हैं। उसने यह भी कहा कि छोटेलाल ने अपनी याचिका में रिश्तेदारों पर उसे बंधक बनाने का आरोप लगाया, जबकि असलियत में वह खुद बंधुआ मजदूरी कर रहा है।

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हाईकोर्ट का सख्त रुख

कोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कई कड़े निर्देश जारी किए:

  • अशोकनगर कलेक्टर और एसपी को आदेश दिया कि केस खत्म होने तक मुन्नीबाई की जमीन बेची नहीं जा सकेगी।
  • छोटेलाल और मुन्नीबाई को तत्काल पुलिस सुरक्षा दी जाए।
  • जिले में पिछले 10 वर्षों के सभी विवादित आदिवासी भूमि सौदों की जांच की जाए, विशेषकर वे जिनमें प्रभावशाली लोगों को जमीन बेची गई हो।
  • जिले में बंधुआ मजदूरी के मामलों की गहन जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • दो हफ्तों के भीतर अदालत को विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपी जाए।

आदिवासी अधिकारों पर बढ़ते हमले

इस घटना ने मध्य प्रदेश में आदिवासियों के भूमि अधिकारों और उनकी सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे को उजागर किया है। राज्य के कई जिलों में प्रभावशाली लोग आदिवासी जमीनों पर कब्जा करने और उन्हें बंधुआ मजदूरी में धकेलने के आरोपों से घिरे हुए हैं। हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई की ओर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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