झारखंड : डायन प्रथा का कहर, दो महिलाएं प्रताड़ित, 16 पर मामला दर्ज

झारखंड में डायन प्रथा आज भी एक गंभीर सामाजिक समस्या बनी हुई है। आधुनिक युग में भी कई महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है, जिसके चलते पीड़ित परिवारों को अपना घर तक छोड़ना पड़ता है। प्रशासन से न्याय की गुहार लगाने के बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।

धनबाद जिले के टुंडी थाना क्षेत्र के छातावाद गांव में हाल ही में ऐसी ही एक घटना घटी। डायन प्रथा की शिकार महिलाओं ने 16 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़ित महिलाओं ने समाज और जिला प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, साथ ही अपनी सुरक्षा और सम्मान की गारंटी चाही है।

महिलाओं का आरोप है कि उनके ही परिवार के कुछ सदस्यों ने उन्हें डायन बताकर न केवल मारपीट की, बल्कि परिवार के अन्य लोगों को भी शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। लगातार हो रही हिंसा के कारण पीड़ित परिवारों को गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

See also  जानिए कौन हैं झारखंडी टाइगर चम्पई सोरेन? हेमंत सोरेन से क्या है उनका खास रिश्ता?

ओझा के आरोप से शुरू हुआ अत्याचार

पीड़ित महिलाओं के अनुसार, उनके परिवार के दो सदस्य बीमार थे, लेकिन डॉक्टर के बजाय उन्हें एक ओझा, मोतीलाल मुर्मू, के पास ले जाया गया। ओझा ने परिवार की दो महिलाओं को बीमारियों का कारण यानी ‘डायन’ बता दिया। इसके बाद, गांव में उनके खिलाफ हिंसा शुरू हो गई। महिलाओं का कहना है कि पुलिस शिकायत के बाद भी आरोपियों को जल्द ही छोड़ दिया गया, जिससे वे फिर से प्रताड़ना झेलने को मजबूर हैं।

डायन प्रथा: एक सामाजिक अभिशाप

झारखंड में डायन प्रथा अशिक्षा, अंधविश्वास और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण आज भी कई इलाकों में फैली हुई है। इस कुप्रथा के कारण महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं और कई बार तो उनकी हत्या तक कर दी जाती है।

हालांकि, राज्य सरकार ने 2001 में ‘डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम’ लागू किया, फिर भी यह समस्या बनी हुई है।

आंकड़े बताते हैं भयावह सच्चाई

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2021 के बीच भारत में डायन बताकर 663 महिलाओं की हत्या हुई। इनमें से 65% मामले झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा से थे। अकेले 2020 में 88 हत्याएं दर्ज की गईं, जिनमें से 15 झारखंड से थीं।

See also  धुमकुड़िया 2023: आदिवासी विषयों पर धुमकुड़िया ने मंगाया शोधपत्र, नयी सोच, कला और चित्रकला पर जोर

समाधान क्या है?

कानूनी उपायों के अलावा, समाज में जागरूकता बढ़ाना भी जरूरी है। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कदम उठाने से ही इस कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है। प्रशासन, सामाजिक संगठनों और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा ताकि किसी भी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित न किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन