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Niamtre: मेघालय का भूला हुआ आदिवासी धर्म

भारत विविध धर्मों और संस्कृतियों की भूमि है। यहाँ प्राचीन वैदिक परंपराओं से लेकर आधुनिक धर्म सुधार आंदोलनों तक अनेक आस्थाएँ जीवित रही हैं। लेकिन इस बहुलता के बीच कई आदिवासी धर्म ऐसे भी हैं जिनके बारे में आम जनता बहुत कम जानती है। इन्हीं में से एक है – Niamtre धर्म
यह धर्म मुख्य रूप से मेघालय के जयंतिया हिल्स (Jaintia Hills) क्षेत्र में प्रचलित है और इसे मानने वाले लोग बहुत ही सीमित संख्या में बचे हैं। आज जब वैश्विक स्तर पर आदिवासी धर्मों और संस्कृतियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, Niamtre का अध्ययन हमें यह समझने का अवसर देता है कि किस तरह एक समुदाय अपनी परंपराओं को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।

Niamtre धर्म क्या है?

“Niamtre” शब्द का अर्थ है “सत्य का मार्ग” या “धर्म का मार्ग”। यह जयंतिया समुदाय का पारंपरिक धर्म है।
Niamtre में प्रकृति, पूर्वजों और सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। इसे किसी लिखित धर्मग्रंथ पर आधारित नहीं माना जाता बल्कि यह मौखिक परंपराओं, गीतों और रीति-रिवाजों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।

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Niamtre की धार्मिक मान्यताएँ

  1. सूर्य और प्रकृति की पूजा
    • सूर्य को जीवनदाता और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
    • खेतों, नदियों और जंगलों को पवित्र समझा जाता है।
  2. पूर्वजों का सम्मान
    • हर परिवार अपने पूर्वजों की आत्माओं को याद करता है।
    • त्यौहारों के दौरान ‘पूर्वजों का आह्वान’ एक प्रमुख अनुष्ठान है।
  3. समाज और धर्म का मेल
    • Niamtre केवल धार्मिक पहचान नहीं बल्कि सामाजिक जीवन का भी हिस्सा है।
    • विवाह, जन्म और मृत्यु के संस्कार इसी के अनुसार होते हैं।

Behdienkhlam उत्सव – Niamtre का हृदय

Niamtre धर्म का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध उत्सव है Behdienkhlam Festival

  • यह उत्सव फसल की समृद्धि और बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए मनाया जाता है।
  • इसमें लोग बड़े-बड़े लकड़ी के खंभे सजाकर नदी में प्रवाहित करते हैं।
  • ड्रम, नृत्य और सामूहिक प्रार्थना इस पर्व की विशेषता है।

Niamtre धर्म मानने वालों की संख्या

आज Niamtre धर्म के अनुयायी बहुत कम रह गए हैं।

  • अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, मेघालय के जयंतिया हिल्स में कुछ हजार लोग ही इसे मानते हैं
  • भारत के अन्य हिस्सों में या देश के बाहर इस धर्म की कोई उपस्थिति नहीं पाई जाती।
  • इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि Niamtre केवल जयंतिया हिल्स तक सीमित है।
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किन जिलों में पाए जाते हैं?

Niamtre धर्म के अनुयायी मुख्य रूप से West Jaintia Hills और East Jaintia Hills जिलों में रहते हैं।

  • यहाँ के कुछ गाँव जैसे Jowai, Nartiang और Sutnga इसके प्रमुख केंद्र हैं।
  • इन इलाकों से बाहर बहुत कम लोग इस धर्म से परिचित हैं।

इसे क्षेत्र के बाहर क्यों नहीं जाना जाता?

इसके पीछे कई कारण हैं:

  1. सीमित भौगोलिक दायरा – यह केवल जयंतिया समुदाय तक सिमटा हुआ है।
  2. बाहरी प्रचार का अभाव – इस धर्म में मिशनरी गतिविधियाँ नहीं होतीं, इसलिए इसकी जानकारी बाहर नहीं फैल पाई।
  3. ईसाई धर्म का प्रभाव – मेघालय में बड़ी संख्या में लोग ईसाई बन चुके हैं। इसके चलते Niamtre की पहचान और कमजोर हो गई।
  4. शोध और मीडिया की कमी – भारतीय अकादमिक जगत और मीडिया में आदिवासी धर्मों पर गहराई से चर्चा नहीं होती।

Niamtre और आधुनिक चुनौतियाँ

  1. धार्मिक परिवर्तन (Conversion)
    • जयंतिया हिल्स के कई लोग ईसाई धर्म अपना चुके हैं।
    • इसके चलते Niamtre के अनुयायी लगातार घटते जा रहे हैं।
  2. युवाओं की दूरी
    • आधुनिक शिक्षा और शहरीकरण के कारण युवा पीढ़ी अपनी पारंपरिक मान्यताओं से दूर होती जा रही है।
  3. सांस्कृतिक विलुप्ति का खतरा
    • अगर आने वाले दशकों में संरक्षण नहीं मिला तो यह धर्म केवल इतिहास की किताबों में रह जाएगा।
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Niamtre की विशेषताएँ जो इसे अनोखा बनाती हैं

  • लिखित धर्मग्रंथ नहीं – केवल मौखिक परंपरा और लोकगीत।
  • प्रकृति-केंद्रित दर्शन – जंगल, नदी, खेत और सूरज इनके देवता हैं।
  • सामुदायिकता का धर्म – इसमें व्यक्तिगत आस्था से ज्यादा सामूहिकता और समाज पर बल दिया जाता है।
  • पवित्र त्यौहार Behdienkhlam – जिसे देखने हर साल हजारों पर्यटक भी आते हैं।

Niamtre धर्म सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि जयंतिया समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर है। यह हमें यह याद दिलाता है कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में है।
लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस धर्म को मानने वाले लोग अब बहुत कम रह गए हैं और इसकी जानकारी उस क्षेत्र से बाहर लगभग न के बराबर है।
ऐसे में ज़रूरी है कि हम Niamtre जैसी परंपराओं को जानें, लिखें और साझा करें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इन्हें भूल न जाएँ।

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