बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन की हार और NDA की जीत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ ला दिया। एनडीए ने 202 सीटों के अप्रत्याशित बहुमत के साथ सत्ता पर कब्जा जमाया, जबकि महागठबंधन (MGB) मात्र 35 सीटों पर सिमट गया। यह परिणाम न सिर्फ वोटिंग पैटर्न बल्कि बिहार की सामाजिक-राजनीतिक हवा में हुए बदलाव को भी दर्शाता है।

यह लेख इस चुनाव में महागठबंधन की असफलता के कारणों और NDA की रणनीतिक सफलता को विस्तार से समझाता है।

महागठबंधन (महागठबंधन) कहाँ फेल हो गया?

  1. नेतृत्व का भ्रम और टकराव

MGB के अंदर स्पष्ट नेतृत्व दिखाई नहीं दिया।

RJD-Congress के बीच सीट शेयरिंग, रणनीति और नेतृत्व पर अस्पष्टता बनी रही।

मतदाता के सामने “कौन CM बनेगा?” का सवाल अनुत्तरित रहा — इसका सीधा नुकसान हुआ।

  1. जातीय समीकरणों का गलत अनुमान

RJD की पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) वोटबैंक पूरी तरह एकजुट नहीं रहा।

महागठबंधन यह मानकर चला कि जातीय समीकरण अपने-आप उनके पक्ष में काम करेंगे, जबकि NDA ने OBC-EBC-महिला वोटरों में गहरी पहुँच बनाई।

  1. मुस्लिम वोटों का छिटकना
See also  'PM मोदी गारंटी दें, नीतीश पलटेंगे या नहीं', : तेजस्वी यादव

AIMIM, छोटे क्षेत्रीय दल और कई सीटों पर स्थानीय मुस्लिम उम्मीदवारों ने वोट काटे।

RJD-Congress को मुस्लिम क्षेत्रों में वह एकतरफा समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

  1. रोजगार और आर्थिक मुद्दों को सही तरह न पेश कर पाना

बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे जनता की चिंता में थे, लेकिन MGB उन्हें एक ठोस विजन में नहीं ढाल सका।

सिर्फ आलोचना के बजाय परिणाम-उन्मुख वैकल्पिक मॉडल पेश नहीं किया गया।

  1. बूथ प्रबंधन और संगठन की कमजोरी

MGB का जमीनी संगठन कमजोर और खंडित दिखाई दिया।

चुनाव प्रचार सोशल मीडिया तक सीमित रहा, जबकि NDA के कार्यकर्ता बूथ स्तर पर सक्रिय रहे।

  1. नीतीश कुमार का अनुभव और उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड

भले ही नीतीश कुमार को लेकर मिश्रित भावनाएँ थीं, लेकिन विपक्ष उनके लिए एक मजबूत विकल्प पेश नहीं कर सका।

“अनुभव बनाम अनिश्चितता” के बीच जनता ने अनुभव को चुना।

NDA की बड़ी जीत के प्रमुख कारण

  1. BJP + JD(U) का “कमांड एंड कंट्रोल” मॉडल
See also  Understanding Sohrai of the Santhals: Significance and Celebration

BJP की चुनाव मशीनरी, JDU के प्रशासनिक नेटवर्क के साथ मिलकर अत्यंत प्रभावी साबित हुई।

बूथ-प्रबंधन

डेटा-ड्रिवन रणनीति

ग्रामीण संपर्क कार्यक्रम
इन सबने वोटों को सीधा सफलता में बदला।

  1. महिला मतदाताओं की निर्णायक भूमिका

रिकॉर्ड महिला मतदान NDA के पक्ष में गया।

शराबबंदी, युवा लड़कियों के लिए योजनाएँ और सुरक्षा-केंद्रित छवि इस वर्ग को आकर्षित करने में सफल रहीं।

कई सीटों पर महिला वोट NDA की जीत का निर्णायक फैक्टर बन गया।

  1. विकास और स्थिरता का नैरेटिव

मॉड्यूलर सड़कें, बिजली, स्कूल-पोषक योजनाओं का प्रचार लगातार हुआ।

NDA ने “स्थिर सरकार” का संदेश मजबूती से प्रसारित किया, जो वर्तमान असमंजसपूर्ण राजनीतिक माहौल में आकर्षक लगा।

  1. जातीय समीकरणों का पुनर्मिलन

EBC (Extremely Backward Classes)

Mahadalit

गैर-यादव OBC
इन समूहों को NDA ने मजबूत तरीके से साधा।
यह वह वोटबैंक है जिसके बिना बिहार में सरकार बनाना मुश्किल है।

  1. मोदी फैक्टर

राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की लोकप्रियता और “डबल इंजन सरकार” का संदेश ग्रामीण-शहरी दोनों इलाकों में प्रभावी रहा।

See also  Dramatic Rescue Liberates Nine Irular Tribal Members from Bonded Labour in Tamil Nadu Chicken Farms

मोदी का सीधा प्रचार, वर्चुअल रैली और टार्गेटेड सोशल मीडिया अभियान NDA के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ।

  1. विपक्ष की आंतरिक कलह का चुनावी फायदा

जनता ने विपक्ष की एकता पर भरोसा नहीं किया।

NDA ने इसे अपने पक्ष में एक मजबूत नैरेटिव में बदल दिया — “ये लोग स्थिर सरकार नहीं दे सकते।”

बिहार चुनाव 2025 का संदेश स्पष्ट है—

मतदाता स्थिरता, अनुभव और विकास-उन्मुख राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।

महागठबंधन को पुनर्गठन, स्पष्ट नेतृत्व और जमीनी संगठन में सुधार की जरूरत है।

NDA ने जातीय-सामाजिक गठजोड़, मजबूत संगठन और लक्षित वेलफेयर रणनीति से एक बार फिर खुद को शीर्ष पर स्थापित कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन