अमर शहीद वीर नारायण सिंह: छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी की गाथा

अंग्रेजों ने वीर नारायण सिंह को फांसी देने के बाद उनके शव को तोप से उड़ा दिया। आज, 10 दिसंबर, छत्तीसगढ़ के अमर शहीद वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस है। 1857 में इसी दिन उन्हें रायपुर के “जय स्तंभ चौक” पर फांसी दी गई थी।

वीर नारायण सिंह का जीवन और योगदान


वीर नारायण सिंह का जन्म 1795 में सोनाखान के जमींदार रामसाय के घर हुआ था। वे बिंझवार आदिवासी समुदाय से थे और छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सच्चे देशभक्त, और गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं।

पैतृक विरासत और नेतृत्व


उनके पिता ने 1818-19 में अंग्रेजों और भोसले राजाओं के खिलाफ तलवार उठाई थी, जिससे अंग्रेजों को उनसे संधि करनी पड़ी। वीरता और देशभक्ति उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली। पिता की मृत्यु के बाद, 1830 में वे सोनाखान के जमींदार बने।

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष


1854 में अंग्रेजों ने जनविरोधी टैक्स कानून लागू किया, जिसका उन्होंने कड़ा विरोध किया। यह विरोध तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट को उनके खिलाफ कर गया।

See also  बाहा पर्व: प्रकृति और परंपरा का उत्सव

गरीबों का मसीहा


1856 के भयंकर अकाल में, जब गरीब भूख से त्रस्त थे, वीर नारायण सिंह ने कसडोल के व्यापारी माखन (जो उनके बहनोई भी थे) से गरीबों के लिए अनाज मांगा। जब माखन ने इनकार कर दिया, तो उन्होंने किसानों के साथ मिलकर जमाखोरों के गोदाम तोड़कर अनाज गरीबों में बांट दिया। इस घटना की शिकायत अंग्रेजी प्रशासन से की गई, जिसके बाद उन्हें पकड़ने के प्रयास शुरू हुए।

1857 का स्वतंत्रता संग्राम
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, उन्हें जेल से रिहा कर स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व सौंपा गया। उन्होंने 500 लोगों की सेना बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। वीर नारायण सिंह ने गुरिल्ला युद्ध शैली से अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। लेकिन आसपास के कुछ जमींदारों के विश्वासघात के कारण वे पकड़े गए।

शहादत
उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया और 10 दिसंबर 1857 को रायपुर के “जय स्तंभ चौक” पर उन्हें फांसी दी गई। अंग्रेजों ने उनके शरीर को तोप से उड़ा दिया, लेकिन उनकी कुर्बानी ने छत्तीसगढ़ के लोगों के दिलों में आज़ादी की ज्वाला जलाई।

See also  यह गांव किसी चमत्कार से कम नहीं है…यहां पानी नीचे से ऊपर की ओर बहता है, और गाड़ियां भी उल्टी दिशा में चलने लगती हैं।

वीर नारायण सिंह आज भी छत्तीसगढ़ और भारत के इतिहास में अमर हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन