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झारखंड: जानिए किन साहित्यकारों को मिलेगा द्वितीय जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड

साल 2023 का ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड’ अरुणाचल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के तीन युवा लेखकों को मिलेगा. यह अवार्ड उनकी मौलिक पांडुलिपियों ‘गोमपी गोमुक’, ‘हेम्टू’ और ‘सोमरा का दिसुम’ के लिए 26 नवंबर को रांची स्थित प्रेस क्लब में आयोजित अवार्ड समारोह में प्रदान किया जाएगा.

प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन के चयन समिति ने 11 अगस्त को जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड की घोषणा की थी. दूसरे साल का अवार्ड देश के तीन युवा आदिवासी रचनाकारों को उनकी अप्रकाशित और मौलिक पांडुलिपियों को दिया जाएगा.

बता दें, ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड’ पिछले साल विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शुरू किया गया है, जो भारत की किसी भी आदिवासी भाषा में रचित तीन मौलिक रचनाओं को दिया जाता है.

इन कृतियों को मिलेगा सम्मान

प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की वंदना टेटे के अनुसार इस अवार्ड के लिए कई प्रविष्टियां आईं, जिनमें से निर्णायक मंडल ने डॉ. तुनुङ ताबिङ का ‘गोमपी गोमुक’ (शब्द ध्वनि), संतोष पावरा की ‘हेम्टू’ (अतिक्रमण) और डॉ. पूजा प्रभा एक्का की अनुवादित रचना ‘सोमरा का दिसुम’ को पुरस्कार के लिए चुना है.

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‘गोमपी गोमुके’ आदी व हिंदी और ‘हेम्टू’ पावरी/बारेला और हिंदी में रचित द्विभाषी कविता संग्रह हैं. वहीं, ‘सोमरा का दिसुम’ असम के चाय बागान की सुप्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार काजल डेमटा के बांग्ला कहानी संग्रह ‘चा बागिचार सांझ फजिर’ का हिंदी अनुवाद है.

टेटे ने कहा कि ये तीनों रचनाएं भारत के आदिवासी समाज की अभिव्यक्ति को बहुत ही कलात्मकता और सौंदर्यबोध के साथ प्रस्तुत करती हैं. ये संभावनाओं से भरे भविष्य के आदिवासी स्टोरीटेलर हैं, जिनकी कृतियां बताती हैं कि युवा आदिवासी लेखन अपनी भाषा और साहित्य को लेकर कितना गहरा लगाव रखती है.

लेखकों के बारें में जानिए

‘आदी’ आदिवासी समुदाय की डॉ. तुनुङ ताबिङ मूलतः अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियाङ जिले की रहने वाली हैं. वे फिलहाल ईटानागर स्थित राजीव गांधी विश्वविद्यालय के इंस्टीच्यूट ऑफ डिस्टेंट एजुकेशन विभाग में प्राध्यापक हैं. ‘गोमपी गोमुक’ इनके कविताओं का पहला संग्रह है.

वहीं, संतोष पावरा महाराष्ट्र के नंदूरबार जिला के लक्कड़कोट गांव के हैं और पावरा आदिवासी समुदाय से आते हैं. ‘हेम्टू’ इनका दूसरा काव्य संग्रह है.

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इसके अलावा डॉ. पूजा प्रभा एक्का अलिपुरद्वार (प.बं.) जिले के पनियालगुरी चाय बागान की निवासी हैं और घोषपुकुर कॉलेज में हिंदी का सहायक प्रोफेसर हैं. ‘सोमरा का दिसुम’ इनका पहला अनुवाद कार्य है.

इन लेखकों के हाथों दिया जाएगा सम्मान

इस साल का ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य सम्मान’ देश के तीन नवोदित रचनाकारों – अरुणाचल की डॉ. ताबिङ तुनुङ, अलीपुरद्वार की डॉ. पूजा प्रभा एक्का और महाराष्ट्र के संतोष पावरा – को 26 नवंबर 2023 को दिया जाएगा। रांची के प्रेस क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में यह अवार्ड नागालैंड की सुप्रसिद्ध आदिवासी लेखिका लानुसांगला त्जुदिर और केरल के बहुचर्चित आदिवासी कवि सुकुमारन द्वारा प्रदान किए जाएंगे। इस अवसर पर बहुभाषाई आदिवासी-देशज दुरङ परफॉरमेंस भी होगा जिसमें झारखंडी भाषाओं के 20 से ज्यादा कवि-गीतकार भाग लेंगे।

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