ओडिशा के आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए आवंटित भारी सरकारी राशि का बड़ा हिस्सा सरकारी इंजीनियरों द्वारा निजी कामों में खर्च कर दिया गया। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में हुआ है। सीएजी ने एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसियों (ITDA) के तहत निर्धारित 148.75 करोड़ रुपये की राशि के अनियमित इस्तेमाल की ओर ध्यान आकर्षित किया है। बुधवार को विधानसभा में पेश रिपोर्ट में कहा गया कि आईटीडीए इंजीनियरों के बैंक खातों से ऐसे लेनदेन मिले जो विभागीय कार्यों से संबंधित नहीं थे। ऑडिट में दर्ज है कि जूनियर और असिस्टेंट इंजीनियरों ने 148.75 करोड़ रुपये का उपयोग एटीएम से नकद निकासी, चेक भुगतान, पीओएस खरीदारी, बीमा प्रीमियम, मोबाइल रिचार्ज और यूपीआई ट्रांजैक्शन जैसे व्यक्तिगत कार्यों में किया। यह सार्वजनिक धन की संदिग्ध गड़बड़ी का संकेत है।
रिपोर्ट के अनुसार, नकद निकासी, मोबाइल बिल चुकाने, ई-कॉमर्स खरीदारी, गैर-संबंधित खातों में पैसे भेजना और बीमा या निजी निवेश के भुगतान इस बात के साक्ष्य हैं कि सार्वजनिक धन का उपयोग व्यक्तिगत ज़रूरतों के लिए किया गया। सीएजी ने यह भी पाया कि लागत अनुमान और खर्च का हिसाब संदिग्ध है क्योंकि कई खातों में करोड़ों रुपये बिना उपयोग पड़े मिले। आईटीडीए चूंकि अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग के अधीन हैं, इसलिए कैग ने विभाग को निर्देश दिया कि सभी लेन-देन की विस्तृत समीक्षा कर दोषी अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय की जाए। साथ ही, इंजीनियरों द्वारा व्यक्तिगत बैंक खातों से परियोजनाओं के भुगतान की प्रथा खत्म कर उचित प्रक्रिया लागू करने की बात भी कही।
भारत में जनजातीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु आईटीडीए की स्थापना पांचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-79) में की गई थी। ओडिशा, जहां 22 प्रतिशत से ज्यादा जनजातीय जनसंख्या है, में वर्तमान में 22 आईटीडीए काम कर रहे हैं। इनकी स्थापना 1979-80 से 2022-23 के बीच हुई। ओडिशा के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल सुबु आर ने बताया कि सीएजी ने 2018-19 से 2022-23 के बीच 11 आईटीडीए की गतिविधियों का ऑडिट किया। निष्कर्ष सार्वजनिक होने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभाग सभी संदिग्ध लेन-देन की जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई तय की जाएगी।
क्या है मामला?
ओडिशा के अनुसूचित क्षेत्रों की योजनाओं के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी लिए इंजीनियरों ने निजी उपयोग के लिए लगभग 149 करोड़ रुपये फंड से खर्च किए। मकान किराया, बीमा, बिजली-पानी का भुगतान भी इसमें शामिल है। मार्च 2023 तक की अवधि वाली कंप्लायंस ऑडिट-सिविल रिपोर्ट, जो 24 सितंबर 2025 को विधानसभा में पेश हुई, में आईटीडीए की भारी अनियमितताओं का उल्लेख है। रिपोर्ट कहती है कि आईटीडीए ने एई और जेई के नाम से बैंक खाते खोलकर योजना राशि डाली, मगर बाद में इसका निजी इस्तेमाल हुआ।
ऑडिट से पता चला कि 2018-19 से 2022-23 के बीच 11 आईटीडीए के तहत कुल 85 बैंक खाते संचालित किए गए। इनमें से 71 खातों में 621.79 करोड़ रुपये विभागीय कार्यों के लिए ट्रांसफर किए गए, जिनका रिकॉर्ड उपलब्ध है। लेकिन 14 खातों के लेनदेन विवरण ऑडिट को उपलब्ध नहीं कराए गए। ओडिशा वित्तीय नियमों के मुताबिक सरकारी धन पाने वाला हर अधिकारी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार होता है।
रिपोर्ट में पाया गया कि कई बैंक खातों से संदिग्ध लेन-देन किए गए। जैसे एटीएम निकासी, खुद के नाम से चेक भुगतान, पॉइंट-ऑफ-सेल खरीदारी, मोबाइल-बिजली-पानी-ईंधन बिल चुकाना, ई-कॉमर्स पेमेंट, म्यूचुअल फंड/शेयर निवेश, बीमा प्रीमियम और यूपीआई ट्रांजैक्शन। उदाहरण के तौर पर, आईटीडीए परलाखेमुंडी के एक जेई ने अपने खाते से 1.81 लाख रुपये बीमा प्रीमियम (मैक्स लाइफ) के लिए दिए। इसी तरह थुआमुल रामपुर के एक जेई ने 51,230 रुपये ईंधन के लिए पीओएस से खर्च किए।
फूलबनी आईटीडीए के एक जेई ने 2020 में छह महीने तक मकान किराए के लिए 36 हजार रुपये आधिकारिक खाते से निकाले। सीएजी ने इस प्रथा को आंतरिक नियंत्रण की विफलता माना। 2011 की जनगणना में ओडिशा की जनजातीय जनसंख्या 95 लाख दर्ज हुई, जो राज्य की 22.85% और देश की 9.17% थी। संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत राज्य का 63,896 वर्ग किमी क्षेत्र, जिसमें 119 ब्लॉक (छह पूर्ण जिले व सात आंशिक जिले) आते हैं, अनुसूचित क्षेत्र घोषित है।