रांची। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था “सृजन संसार” द्वारा हरमू स्थित विद्यापति दलान में वासंतिक काव्य-गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर नेहाल हुसैन ‘सरैयावी’ ने की, जबकि मंच संचालन का दायित्व डॉ. रजनी शर्मा ‘चंदा’ ने निभाया।
गोष्ठी का शुभारंभ संस्था के संस्थापक एवं अध्यक्ष सदानंद सिंह यादव के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि “वसंत कवियों के लिए सृजन का विशेष काल है, जिसे उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा रही है।” कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. रजनी शर्मा ‘चंदा’ की सरस्वती वंदना से हुई।
कवियों ने बिखेरे प्रेम और भक्ति के रंग
काव्य-गोष्ठी का आगाज सदानंद सिंह यादव के गीत “इस पतझड़ जैसे जीवन में तुम फागुन बनकर आ जाओ” से हुआ, जिसमें एक नायिका का प्रणय निवेदन झलका। समापन डॉ. रजनी शर्मा ‘चंदा’ की रचना “जीवन महाकुंभ है” के साथ हुआ।
भोपाल से प्रकाशित पत्रिका “सत्य की मशाल” के फरवरी अंक का लोकार्पण झारखंड ब्यूरो प्रमुख संगीता यादव एवं मंच के अन्य सदस्यों ने किया।
शायरों और कवियों ने बांधा समां
- संगीता यादव ने सामाजिक परिस्थितियों पर केंद्रित कविता “कैसे आएगा बसंत?” प्रस्तुत की।
- इटकी से आए शायर जिशान अल्तमस ने प्रेम पर केंद्रित ग़ज़लें सुनाकर वाहवाही बटोरी।
- संगीता सहाय ‘अनुभूति’ ने अपनी क्षणिकाओं में स्त्री के त्याग की पराकाष्ठा दर्शाई।
- हास्य कवि नरेश बंका की हास्य-व्यंग्य रचनाओं ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।
- वरिष्ठ पत्रकार सुनील सिंह बादल ने अपनी व्यंग्य रचना में महाकुंभ में स्नान की होड़ को केंद्र में रखा।
- नेहाल हुसैन ‘सरैयावी’ ने अपनी ग़ज़लों से समां बांध दिया।
- सुकुमार नाथ झा ने “आया होली रंग-बिरंगा” सुनाकर माहौल को होलीमय बना दिया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन निवर्तमान पार्षद एवं मंच के मार्गदर्शक अरुण कुमार झा ने किया।
इस अवसर पर डॉ. मीरा सोनी, गिरजा कोमल, डॉ. निराला पाठक, सुभाष सहाय सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।