ओडिशा पुलिस ने बुधवार (17 दिसंबर 2025) को भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) में पढ़ने वाले 14 वर्षीय आदिवासी छात्र की हत्या के मामले में तीन नाबालिग छात्रों और संस्थान के आठ शिक्षकों व कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, छात्र की मौत कथित रूप से सहपाठियों द्वारा की गई मारपीट और गला घोंटने के कारण हुई, जबकि मामले को दबाने की कोशिश भी की गई।
पुलिस कमिश्नर एस. देव दत्ता सिंह ने बताया कि तीनों नाबालिगों पर कक्षा 9 के छात्र शिवा मुंडा की हत्या का आरोप है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि वॉशरूम में बाल्टी साझा करने से इनकार करने पर विवाद हुआ, जिसके बाद आरोपियों ने छात्र के साथ मारपीट की और कथित तौर पर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। तीनों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106(1) और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कमिश्नर सिंह ने बताया कि KISS के आठ अधिकारी—जिनमें एक अतिरिक्त CEO, हेडमास्टर, शिक्षक और हॉस्टल स्टाफ शामिल हैं—को गवाहों को डराने-धमकाने, सबूत नष्ट करने और आरोपियों को बचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के मुताबिक, 11 दिसंबर की रात छात्र की हत्या हुई। हालांकि, शुरुआत में संस्थान की ओर से परिवार को बताया गया कि छात्र की मौत वॉशरूम में गिरने से हुई है और शव परिजनों को सौंप दिया गया। बाद में जांच में स्पष्ट हुआ कि यह एक हत्या का मामला है और इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी गई थी।
जांच के दौरान सामने आया कि तीनों नाबालिग छात्रों ने ‘जोकर गैंग’ नाम से एक समूह बना रखा था। पुलिस ने हॉस्टल के टॉयलेट की दीवार पर यह नाम लिखा हुआ भी पाया, जहां घटना हुई थी। अन्य छात्रों से पूछताछ में भी हमले की पुष्टि हुई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गर्दन पर बाहरी चोटों के निशान पाए गए हैं, जो किसी कठोर वस्तु से दबाव का संकेत देते हैं। सहपाठियों और हॉस्टल साथियों के बयानों में भी तीन नाबालिगों की संलिप्तता की पुष्टि हुई है।
पीटीआई के अनुसार, मृतक के पिता ने 13 दिसंबर को क्योंझर टाउन थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बेटे की मौत को दुर्घटना मानने से इनकार करते हुए हत्या का आरोप लगाया था। पिता ने बताया कि 12 दिसंबर को उन्हें KISS से फोन कर सूचित किया गया कि उनके बेटे को कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (KIMS) में भर्ती कराया गया है, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की पहले ही मौत हो चुकी है।
पुलिस कमिश्नर ने कहा कि आरोपित छात्रों ने पूछताछ में मारपीट और गला घोंटने की बात स्वीकार की है, जबकि जांच में यह भी सामने आया कि शिक्षकों और स्टाफ ने नाबालिग गवाहों को डराकर मामले को छिपाने की कोशिश की।
गिरफ्तार किए गए आठ अधिकारियों में KISS के अतिरिक्त CEO प्रमोद पात्रा, सेकेंडरी स्कूल के हेडमास्टर रश्मिरंजन नायक, शिक्षक बिनय कुमार गोछी और प्रदीप कुमार दास, वरिष्ठ अकादमिक समन्वयक अशोक कुमार मल्ला, हॉस्टल के सहायक फील्ड ऑफिसर हेमंत कुमार मोहपात्रा, बॉयज हॉस्टल के सुपरवाइजर रमाकांत बेहरा और सहायक शिक्षिका सुजाता मिश्रा शामिल हैं।
इन अधिकारियों पर BNS की धारा 103(1) (हत्या), 238 (सबूत नष्ट करना), 232 (झूठी गवाही के लिए धमकाना), 249(a) (अपराधी को पनाह देना), 351(3) (आपराधिक धमकी) और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 75 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
तीनों नाबालिगों को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जबकि आठों अधिकारियों को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस घटना के बाद क्योंझर जिले में विरोध प्रदर्शन हुए। 13 दिसंबर को स्थानीय लोगों ने शव के साथ कलेक्टर कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर न्याय की मांग की।





