भारत विविध परंपराओं और त्योहारों की भूमि है। इन्हीं त्योहारों में से एक है विश्वकर्मा पूजा, जिसे सृजन, निर्माण और श्रम की आराधना का पर्व माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार, वास्तुकार और तकनीकी ज्ञान का जनक कहा जाता है। यही कारण है कि यह दिन विशेष रूप से श्रमिकों, तकनीशियनों, कारीगरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों और उद्योगों से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह श्रम और तकनीकी कौशल के सम्मान का पर्व है।
भगवान विश्वकर्मा को ‘देवशिल्पी’ कहा गया है जिन्होंने स्वर्गलोक, द्वारका, इंद्रप्रस्थ और अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया।
यह दिन हमें यह सिखाता है कि सृजनशीलता और परिश्रम मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
ऋग्वेद में विश्वकर्मा का उल्लेख एक अदृश्य शक्ति के रूप में किया गया है जिसने समस्त ब्रह्मांड का निर्माण किया।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने युगों-युगों तक देवताओं के नगर, मंदिर और रथों का निर्माण किया।
भारतीय परंपरा में उन्हें श्रम और विज्ञान के देवता का दर्जा प्राप्त है।
🛠️ कैसे मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा?
तिथि : यह पूजा हर साल कन्या संक्रांति (17 या 18 सितंबर) को मनाई जाती है।
पूजन स्थल : फैक्ट्री, कारखाने, वर्कशॉप, दफ्तर और यहां तक कि घरों में भी पूजा की जाती है।
विधि :
औज़ारों, मशीनों और उपकरणों को साफ करके सजाया जाता है।
उन पर फूल, हल्दी-कुमकुम और अक्षत चढ़ाए जाते हैं।
पूजा के बाद लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं और सामूहिक भोज का आयोजन होता है।
इस दिन कई जगह मशीनों को विश्राम (Rest Day) दिया जाता है, ताकि अगली शुरुआत शुभ हो।
सामाजिक और आधुनिक परिप्रेक्ष्य
आज के समय में विश्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है। यह दिन श्रमिकों और कारीगरों की महत्ता को मान्यता देने का अवसर है।
उद्योग जगत में यह उत्सव कर्मचारियों की मेहनत को सम्मान देने का प्रतीक है।
शिक्षा संस्थानों और तकनीकी कॉलेजों में भी इसे नवाचार और अनुसंधान से जोड़कर मनाया जाता है।
यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हर निर्माण – चाहे वह पुल हो, भवन हो या तकनीकी उपकरण – उसके पीछे मेहनतकश हाथों का योगदान होता है।
संदेश
विश्वकर्मा पूजा हमें यह प्रेरणा देती है कि –
श्रम का सम्मान करना चाहिए।
सृजनशीलता से समाज का विकास संभव है।
तकनीक और परंपरा का संतुलन हमें आगे बढ़ाता है।
विश्वकर्मा पूजा सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानव श्रम, कौशल और नवाचार का उत्सव है।
इस दिन हर व्यक्ति यह संकल्प ले सकता है कि वह अपने कार्यस्थल और उपकरणों का सम्मान करेगा, और अपने श्रम से समाज को आगे बढ़ाएगा।
🙏 विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं! 🙏