असम और मेघालय सरकारों की संयुक्त 55 मेगावाट उकियाम जलविद्युत परियोजना (Ukiam Hydro Project) एक बार फिर विवादों में घिर गई है। कई आदिवासी संगठनों और ग्रामीणों ने इस परियोजना का कड़ा विरोध किया है। यह परियोजना असम-मेघालय सीमा पर स्थित कुलसी नदी पर प्रस्तावित है, जो गंगा नदी डॉल्फ़िन का एक प्रमुख आवास है।
यह बांध द्रोण, श्री और दिल्मा नदियों के संगम पर बनाया जाना है, जिनसे कुलसी नदी का उद्गम होता है। गुवाहाटी से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित यह इलाका लोकप्रिय उकियाम पिकनिक स्थल के पास आता है।
विरोध प्रदर्शन और आरोप
गुरुवार (25 सितंबर) को बड़ी संख्या में ग्रामीणों और संगठनों ने यहां एकत्र होकर परियोजना से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और आजीविका पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जताई।
यह विरोध असम-मेघालय संयुक्त संरक्षण समिति के बैनर तले हुआ, जिसमें गारो नेशनल काउंसिल (GNC) और राभा नेशनल काउंसिल (RNC) जैसे संगठन शामिल रहे।
जीएनसी अध्यक्ष एनिंद्रा मारक ने कहा—
“दोनों राज्य सरकारें परियोजना के दुष्परिणामों को छिपा रही हैं। वे दावा करते हैं कि सिर्फ 15 गाँव प्रभावित होंगे, लेकिन वास्तविक असर मेघालय की पहाड़ियों से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैलेगा।”
उन्होंने इशारा किया कि 2026 विधानसभा चुनावों तक काम रोका जा सकता है।
वहीं, आरएनसी संयोजक गोबिंद राभा ने चेतावनी दी कि बांध बनने पर लगभग 1.9 लाख बीघा (25,418 हेक्टेयर) भूमि जलमग्न हो सकती है। उन्होंने सरकार पर बिना सहमति के आदिवासी इलाकों पर परियोजना थोपने का आरोप लगाया।
गोबिंद राभा ने यह भी कहा—
“कुलसी जलविद्युत परियोजना, कुकुरमारा-पलाशबाड़ी का दोराबील लॉजिस्टिक्स पार्क और बोरदुआर सैटेलाइट टाउनशिप की तरह ही अपरिवर्तनीय पारिस्थितिक क्षति का कारण बनेगी।”
भूमि स्वामित्व और परामर्श का सवाल
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारों ने अब तक उनके ज्ञापनों का कोई जवाब नहीं दिया है। मेघालय में स्थिति और जटिल है क्योंकि भूमि स्वामित्व कानूनों के तहत केवल पारंपरिक मुखिया ही अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कर सकते हैं।
हाल ही में खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (KHADC) ने स्पष्ट किया कि नोंग्मिनसॉ, नोंग्खलाव और रामबराई के मुखिया ही एनओसी देने के पात्र हैं। जीएनसी नेताओं ने चेतावनी दी कि जब तक यह सहमति नहीं मिलती, उकियाम में कोई बांध नहीं बनने दिया जाएगा।
परियोजना की घोषणा और पृष्ठभूमि
इस परियोजना की घोषणा 2 जून को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा की बैठक के बाद की गई थी। इसे बिजली और सिंचाई दोनों दृष्टि से अहम बताया गया था।
हालाँकि, घोषणा के तुरंत बाद ही ऑल राभा स्टूडेंट्स यूनियन (ARSU), गारो यूथ काउंसिल (GYC), खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU) और अन्य संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया था।
कुलसी नदी का महत्व
कुलसी नदी, लगभग 60 किलोमीटर लंबी, मेघालय के पश्चिमी खासी हिल्स से निकलकर असम के कामरूप जिले में बहती है और अंत में ब्रह्मपुत्र से मिल जाती है। यह नदी न सिर्फ हजारों किसान परिवारों के लिए सिंचाई का आधार है बल्कि मछुआरा समुदाय की आजीविका भी इसी पर निर्भर है।
सबसे अहम बात यह है कि कुलसी लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फ़िन का प्रजनन और प्रमुख आवास स्थल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हाइड्रो प्रोजेक्ट से नदी की पारिस्थितिकी बिगड़ेगी और डॉल्फ़िन विलुप्ति के कगार पर पहुँच सकती हैं।