बेणेश्वर धाम: आदिवासियों का कुंभ और आस्था का संगम

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित बेणेश्वर धाम एक पवित्र तीर्थस्थल है, जिसे ‘बागड़ का पुष्कर’ और ‘आदिवासियों का कुंभ’ कहा जाता है। यह स्थल तीन नदियों—सोम, माही और जाखम—के संगम पर स्थित है, जिससे इसे आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से विशेष महत्त्व प्राप्त है। यहां का बेणेश्वर मेला भारत के प्रमुख आदिवासी मेलों में…

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तेलंगा खड़िया: अन्याय के खिलाफ संघर्ष की अमर गाथा

एक समय था जब सूदखोरों द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़प ली जाती थी, और उन्हें अपनी ही भूमि पर बंधुआ मजदूर बना दिया जाता था। संघर्ष की यह कहानी बहुत पुरानी है—तब भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी जा रही थी, और आज भी वही जंग जारी है। जब हम संसाधनों की बात करते हैं,…

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The Impact of Classifying Denotified Tribes | Explained

For the first time, the Anthropological Survey of India (AnSI) and Tribal Research Institutes (TRIs) have systematically categorized 268 denotified, semi-nomadic, and nomadic tribes that had never been classified before. After a three-year study, they have recommended the inclusion of 179 of these communities in the Scheduled Castes (SC), Scheduled Tribes (ST), and Other Backward…

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“अगर घर वापसी नहीं होती, तो आदिवासी राष्ट्र-विरोधी हो जाते”: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान संघ के घर वापसी कार्यक्रम की प्रशंसा की थी। भागवत के अनुसार, मुखर्जी ने कहा था कि अगर संघ ने धर्मांतरण रोकने का प्रयास नहीं किया होता, तो आदिवासियों का एक बड़ा वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो सकता था।…

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गोंड आदिवासियों का कछारगढ़ तीर्थ: सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामूहिक पहचान का प्रतीक

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में स्थित कछारगढ़, गोंड आदिवासियों के लिए न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान और इतिहास का प्रतीक भी है। धानेगांव गांव की गुफाओं में देवी काली कंकाली का मंदिर स्थापित है, जो मैकल पहाड़ियों का हिस्सा हैं। गोंडी भाषा में कछारगढ़ का अर्थ है “अयस्क…

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खरसावां गोलीकांड: आजाद भारत का जालियांवाला बाग, जब 50,000 आदिवासियों पर बरसी गोलियां

1 जनवरी का दिन, जब दुनिया नए साल का स्वागत करती है, आदिवासी समाज इसे शोक दिवस के रूप में याद करता है। यह सिलसिला 1948 से शुरू हुआ, जब भारत आजादी के केवल पांच महीने पुराने सफर पर था। उसी समय, खरसावां ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक दर्दनाक घटना देखी, जिसे ‘खरसावां…

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धुमकुड़िया 2025: धरोहर से भविष्य तक, धुमकुड़िया के माध्यम से युवा सशक्तिकरण की नई पहल

रांची: आदिवासी समाज की सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामुदायिक पहचान को पुनर्जीवित करने के लिए टीम धुमकुड़िया रांची ने आगामी 25 दिसंबर 2024 को एक दिवसीय करियर गाइडेंस कार्यक्रम का आयोजन किया है। कार्यक्रम अरगोड़ा स्थित वीर बुद्धु भगत धुमकुड़िया भवन में किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को करियर निर्माण में मार्गदर्शन देना, साथ…

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झारखंड: रांची में उरांव जनजाति की महिला पर धर्म परिवर्तन का दबाव

लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड के बरवा टोली निवासी झरिया उरांव (36) ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी सकलपति उरांव (32) को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने इस मामले में रविवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा को लिखित शिकायत सौंपी। इसके अलावा,…

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राजस्थान: दो रिटायर्ड अफसरों ने बनाया पहला निजी आदिवासी विश्वविद्यालय

जय मीनेश आदिवासी विश्वविद्यालय ने 2024 में अपनी दूसरी वर्षगांठ पूरी की और आदिवासी शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए हैं। विश्वविद्यालय का नाम राजस्थान की मीणा जनजाति के पूजनीय देवता मीनेश जी के नाम पर रखा गया है, जो जनजातीय पहचान को संरक्षित करने का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय दुनिया…

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जसिंता केरकेट्टा को मधुकरराव मड़ावी साहित्यभूषण पुरस्कार

जसिंता केरकेट्टा को महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में शनिवार को मधुकरराव मड़ावी साहित्यभूषण पुरस्कार दिया गया. यह पुरस्कार नवोदित आदिवासी साहित्य परिषद द्वारा दिया गया. मौके पर जसिंता केरकेट्टा ने कहा कि आदिवासी समाज को स्वशासन, अस्तित्व और प्रकृति को बचाने के लिए बौद्धिक रूप से सशक्त होना होगा. इसके लिए पढ़ने-लिखने, रचने, संगठित होने,…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन