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बाहा पर्व: प्रकृति और परंपरा का उत्सव

भारत के आदिवासी समुदायों की संस्कृति और परंपराएँ उनकी प्रकृति-केन्द्रित जीवनशैली को दर्शाती हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है बाहा पर्व, जिसे फूलों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ के संथाल, मुंडा, हो, और उरांव समुदायों द्वारा मनाया जाता है। बाहा पर्व केवल एक…

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कौन हैं लाला जगदलपुरी? जिन्होंने हल्बी में लिखी रामायण

बस्तर के प्रतिष्ठित साहित्यकार स्वर्गीय लाला जगदलपुरी ने भगवान श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास की कथा को अपनी लेखनी से समृद्ध किया। लगभग पांच दशक पहले, उन्होंने स्थानीय आदिवासी बोली हल्बी में राम चालीसा और राम कथा की रचना की थी। श्रीराम के दंडकारण्य प्रवास पर आधारित ये दोनों रचनाएँ आज भी उनके परिजनों के संरक्षण…

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झारखंड में आदिवासियों की सरकारी नौकरियों में भागीदारी: चौंकाने वाले आंकड़े

झारखंड में आदिवासी समुदाय राज्य की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी बेहद कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या का 26.2 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है। बावजूद इसके, सरकारी और स्थायी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी न के बराबर है। आदिवासी समुदाय की…

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भारत में सबसे लोकप्रिय 10 खाद्य तेल: सेहत और स्वाद का सही संतुलन

खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि वे सेहत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। भारत में अलग-अलग प्रकार के खाद्य तेलों का उपयोग किया जाता है, जो क्षेत्रीय पसंद, स्वास्थ्य लाभ और पकाने की शैली के अनुसार भिन्न होते हैं। इस लेख में हम भारत…

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महाकुंभ में नाविक परिवार ने रचा इतिहास: 45 दिनों में 30 करोड़ की कमाई

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ केवल आध्यात्मिकता और आस्था का संगम नहीं रहा, बल्कि इसने कई लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि के नए द्वार भी खोले। नैनी के अरैल क्षेत्र के एक नाविक परिवार ने अपनी मेहनत से ऐसा इतिहास रचा, जिसकी चर्चा अब पूरे प्रदेश में हो रही है। 30 करोड़ की कमाई: महरा परिवार…

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1901 और 1941 की जातिगत जनगणना में लोहरा आदिवासी

झारखंड के इतिहास में ब्रिटिश शासन के दौरान और उसके बाद भी जातिगत जनगणना एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। लोहरा आदिवासी समुदाय का इतिहास अन्य प्रमुख जनजातियों—मुंडा, संथाल, उरांव, खड़िया और हो—के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, लातेहार और खूंटी जिलों में निवास करने वाले लोहरा आदिवासियों की…

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दोहरी परेशानी: चुनाव, EPIC नंबर और मतदाता

भारत की चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता मतदाताओं और राजनीतिक दलों के विश्वास पर निर्भर करती है। लेकिन हाल के वर्षों में चुनाव आयोग (ECI) को विभिन्न चुनावी प्रवृत्तियों को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है—कभी बढ़ा-चढ़ाकर, तो कभी उचित रूप से। 2024 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद मतदाता पंजीकरण में विसंगतियों को लेकर…

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मणिपुर में मुक्त आवाजाही पर रोक: आदिवासी संगठन का विरोध

मणिपुर में एक प्रमुख जनजातीय संगठन ने केंद्र सरकार के उस प्रयास का विरोध करने का निर्णय लिया है, जिसमें इंफाल घाटी को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाली सभी सड़कों पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। इंफाल घाटी से गुजरने वाले दो मुख्य राजमार्ग और अन्य सभी प्रमुख सड़कें…

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भीगा हुआ या उबला हुआ चना: सेहत के लिए कौन ज्यादा फायदेमंद?

चना भारतीय आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे कई तरह से खाया जाता है। यह प्रोटीन, फाइबर, आयरन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। लोग अक्सर इसे रातभर भिगोकर या पानी में उबालकर खाते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि दोनों में से कौन-सा ज्यादा फायदेमंद है? इस लेख में हम…

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पद्मश्री सिमोन उरांव: जल संरक्षण के योद्धा, अब उपेक्षित बीमार मदद के बिना लाचार

प्रसिद्ध समाजसेवी और पद्मश्री सम्मानित सिमोन उरांव इन दिनों गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। 2016 में जब जल संरक्षण कार्यों के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला, तो उनकी उपलब्धियों की चर्चा भारत से लेकर विदेशों तक हुई। कई डॉक्यूमेंट्री और फिल्में उन पर बनीं। दूरदर्शन ने उनकी कहानी ‘झरिया’ नाम से प्रसारित की, और…

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10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन