होलिका दहन: पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

होलिका दहन भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जिसे होली के एक दिन पहले फाल्गुन पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और सामाजिक सौहार्द, आध्यात्मिकता, तथा सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

पौराणिक कथा

होलिका दहन की सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और राक्षस राजा हिरण्यकशिपु से संबंधित है। हिरण्यकशिपु स्वयं को अमर और भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का परम भक्त था। इससे क्रोधित होकर उसने प्रह्लाद को मारने की कई योजनाएँ बनाई। अंततः, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को जलाने का आदेश दिया। होलिका को यह वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी, इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गया और होलिका स्वयं जलकर भस्म हो गई। इस घटना को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

See also  All Souls Day 2023: इसलिए कहा जाता है इसे आत्माओं का दिवस

होलिका दहन की परंपरा

1. होलिका दहन की तैयारी

  • गाँवों और शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर लकड़ी, उपले, और कंडों का ढेर बनाया जाता है।
  • इस ढेर को बुराई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जिसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है।
  • कई स्थानों पर इसमें पुआल, गोबर के उपले और अन्य प्राकृतिक वस्तुएँ रखी जाती हैं।

2. पूजन एवं अनुष्ठान

  • होलिका दहन से पहले महिलाएँ और पुरुष पूजा करते हैं, जिसमें नारियल, गेंहू की बालियाँ और हल्दी-रोली अर्पित की जाती हैं।
  • कुछ क्षेत्रों में गेंहू और चने की बालियाँ भूनकर प्रसाद के रूप में बाँटी जाती हैं।
  • परिवार के बड़े सदस्य होलिका की परिक्रमा कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

3. होलिका दहन का अनुष्ठान

  • रात्रि में शुभ मुहूर्त में होलिका को जलाया जाता है।
  • लोग अग्नि में अपनी पुरानी नकारात्मकताओं और बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं।
  • बच्चे और युवा उल्लासपूर्वक नाचते-गाते हैं और अग्नि की प्रदक्षिणा करते हैं।
See also  दानपात्र में गिरा आईफोन: पुजारियों का लौटाने से इनकार, मंत्री बोले- अब यह भगवान का है

सांस्कृतिक एवं सामाजिक महत्व

  1. बुराई पर अच्छाई की जीत – यह त्योहार यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म की सदा विजय होती है।
  2. पर्यावरण एवं कृषि से जुड़ाव – यह पर्व किसानों के लिए विशेष होता है क्योंकि इस समय रबी की फसल पककर तैयार होती है।
  3. सामाजिक समरसता – होलिका दहन में सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोग भाग लेते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द बढ़ता है।
  4. स्वास्थ्य और वैज्ञानिक पक्ष – होलिका दहन की अग्नि से वातावरण शुद्ध होता है और बीमारियों के कीटाणु नष्ट होते हैं।

होलिका दहन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय समाज को आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने वाला पर्व भी है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, सच्चाई और भक्ति की हमेशा जीत होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 most Expensive cities in the World धरती आबा बिरसा मुंडा के कथन