ओडिशा के कालाहांडी की धूल-धूसरित पगडंडियों से निकली एक बेटी ने यह साबित कर दिया कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, हौसला और मेहनत इंसान को वहां पहुंचा सकती है जहां तक पहुंचना नामुमकिन सा लगता है। 21 साल की बिदु नायक आज डॉक्टर बनने की राह पर हैं—एक सपना जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने गरीबी, संघर्ष और असंख्य मुश्किलों का सामना किया।
कठिनाईयों से भरा बचपन
भत्रा जनजाति से ताल्लुक रखने वाली बिदु के माता-पिता खेतिहर मजदूर हैं। परिवार की आजीविका खेती और दिहाड़ी मजदूरी से चलती थी। ऐसे माहौल में पढ़ाई करना किसी विलासिता से कम नहीं था। नुआपाड़ा गांव के छोटे से सरकारी स्कूल से शुरू हुई उनकी पढ़ाई दसवीं तक तो चली, लेकिन इसके आगे पैसों की कमी ने उनके सपनों पर ताले लगाने शुरू कर दिए। मजबूरी में वे गांव लौटीं और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगीं, साथ ही खेतों में हाथ बंटाकर परिवार को सहारा देती रहीं।

अपने माता पिता के साथ बिदु नायक
उम्मीद के सहारे बढ़े कदम
कहते हैं, हर सपने को पंख देने वाला कोई न कोई होता है। बिदु के लिए यह भूमिका उनके रिश्तेदार लावण्या पुज्हार और भाई ने निभाई। जब सबकुछ टूटता नजर आ रहा था, तब उन्होंने बिदु की लगन को पहचानकर आगे की पढ़ाई का जिम्मा उठाया। बिदु बताती हैं—
“हमारी आय खेती-मजदूरी से ही होती थी। जितना मिलता, पढ़ाई पर खर्च करती थी। बाद में भाई और रिश्तेदारों ने मेरी मदद की। हॉस्टल से लेकर पढ़ाई का सारा खर्च उन्होंने उठाया। उनकी वजह से ही मैं +2 में दाखिला ले पाई और NEET की तैयारी कर सकी।”
संघर्ष से मिली जीत
2024 में बिदु ने +2 परीक्षा में लांजीगढ़ ब्लॉक टॉपर बनकर सबको हैरान कर दिया। इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर में कोचिंग ली और जून 2025 में NEET की परीक्षा पास कर ली। आज वे ब्रह्मपुर के प्रतिष्ठित MKCG मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में दाखिला लेकर डॉक्टर बनने का सपना सच कर रही हैं।
क्यों प्रेरणादायक है बिदु की यात्रा
बिदु नायक की कहानी केवल एक लड़की की सफलता की दास्तान नहीं है, बल्कि यह हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है जो गरीबी या मुश्किल हालात के कारण अपने सपनों से समझौता कर बैठता है। उन्होंने दिखा दिया कि सही मेहनत, परिवार का सहयोग और अटूट हौसला किसी भी बाधा को पार कर सकता है।