राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में प्रस्तावित माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट (MBRAPP) के खिलाफ चल रहा आदिवासी आंदोलन अब आंशिक रूप से सफल होता दिख रहा है। विस्थापन और मुआवजे को लेकर कई दिनों से जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर रहे आदिवासी समुदाय को कल देर रात बड़ी राहत मिली।
सरकार की सहमति
धरना स्थल पर कल रात करीब 1 बजे राज्य सरकार, एनपीसीआईएल (NPCIL), एनटीपीसी (NTPC) और जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों की अधिकांश मांगों पर लिखित सहमति दे दी।
सांसद राजकुमार रोत ने कहा,
“माही परमाणु बिजलीघर में विस्थापितों की विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे धरना-प्रदर्शन में कल देर रात 1 बजे शासन-प्रशासन और संबंधित कंपनियों ने अधिकांश मांगों पर लिखित सहमति दी है। इस आंदोलन में सहयोग करने वाले सभी साथियों को धन्यवाद और सरकार की ओर से सकारात्मक वार्ता करने वाले अधिकारियों को भी जोहार। उम्मीद है कि विस्थापित आदिवासी परिवारों की जिन मांगों पर लिखित सहमति हुई है, उन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा।”
आंदोलन की पृष्ठभूमि
2800 मेगावॉट क्षमता वाले इस प्रस्तावित न्यूक्लियर प्रोजेक्ट के लिए कई गाँवों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। आदिवासी समुदाय का आरोप था कि उन्हें उचित मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार नहीं दिया जा रहा। कई परिवार ऐसे भी हैं, जो पहले माही डैम के कारण विस्थापित हुए थे और अब दूसरी बार उजड़ने की कगार पर हैं।
प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और नई जमीन दी जाए।
युवाओं को परमाणु बिजलीघर में रोजगार का अवसर मिले।
प्रभावित गाँवों में स्कूल, अस्पताल और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएँ सुनिश्चित की जाएँ।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर की स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक की जाए।
आगे की राह
अब जबकि सरकार और कंपनियों ने लिखित सहमति दे दी है, आदिवासी संगठनों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने यह भी संकेत दिया है कि यदि वादे पूरे नहीं हुए, तो वे फिर से आंदोलन का रास्ता अपनाएँगे।