Film review: Humans In the loop

‘Humans in the Loop’ फिल्म देख आयी। झारखण्ड राँची जिले के जोन्हा के आसपास बसे गाँव की कुड़ुख आदिवासी लड़की नेह्मा पर केन्द्रित कहानी है। लड़की के बहाने कई अहम समस्याएँ उभरकर आती है :

■ढुकू विवाह(लड़का-लड़की भर की रजामंदी विवाह) के बाद अलग होने पर नेह्मा का अपना संघर्ष है। लौटकर वह गाँव से बाहर रहती है।ढुकू विवाह के कारण उसकी बेटी के संग भी कोई नहीं रहता, ऐसा करना बड़े ही सिखाते वो भी इस डर से कि उनके साथ गाँव वाले उठना बैठना बंद कर देंगे। स्वाभाविक है कि इसका असर उस मासूम बच्ची पर कितना गहरा पड़ता है। वह दुःखी होकर घर से निकल पड़ती है, रात जंगल में खो जाती है।

■ गाँव में शिक्षा व्यवस्था के मायने क्या हैं? नेह्मा की बड़ी बेटी अपने पिता से लगातर संवाद जारी रखती है। इससे शहर और गाँव के स्कूल में फर्क दिख जाएगा।
बच्ची के साथ पहले कोई दोस्ती नहीं करता, फिर मालती उससे दोस्ती करती है और वह गाँव के बच्चों से जंगल के बारे जो कुछ सीखती है। यहाँ आदिवासी ज्ञान परंपरा स्वतः सामाजिक संरचना से तालमेल बिठाया हुआ दिखाई पड़ेगा और यह तत्कालीन व्यवस्था हमें नहीं सिखा पाएगा।

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■ नेह्मा जो single mother भी है, अपने बच्चे की कस्टडी के लिए संघर्षरत है। AI केन्द्र में आदिवासी डाटा संग्रहण और लेबल का काम करते हैं। आर्टिफिशयल इंटेलिजेन्स के साथ नेह्मा के पुरखा ज्ञान परंपरा का संघर्ष जबरदस्त है। गहरे पर्यावरणीय संकट, आदिवासियों का जंगल से इकोलाॅजिकल संबंध, उसका ज्ञान आदि कई चीजों की ओर इशारा है।
जंगल के शर्मीले जीव से नेह्मा की दोस्ती का बेजोड़ चित्रण है।

■ बच्ची अपनी माँ को इस बात के लिए दोष देती है कि उसे गाँव के उस जीवन में जबरन धकेल दिया है, जहाँ उस भेदभाव के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। ‘हंड़िया संदर्भ’ पर उसका संवाद है और उसकी मनोस्थिति टिकी रहती है।
बच्चों के लिए हम क्या छोड़कर जाएँगे?

‘हँड़िया की सांस्कृतिक भूमिका अलग है – यह समय अलग है’ और ‘हँड़िया का बाजार- वर्तमान की देन है’ इन दोनों समय के मध्य जीवन किधर! पुरखों ने एक अच्छा जीवन जिया है, श्रम करके खेत बनाएँ, जंगल की सुन्दर व्यवस्था बनायी, उस व्यवस्था में हस्तक्षेप होने पर कड़े नियम भी बनाए। लेकिन वर्तमान बाजार/समय/व्यवस्था में निर्मित विसंगतियों से कैसे जूझना है? यह सबकुछ बाकी है, फिल्म के बहाने कई-कई मूलभूत जरूरतों और समस्याओं को समझा जाए।

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नोट: (Review by Parwati tirkey, हिंदी युवा साहित्य पुरस्कार विजेता) फेसबुक वॉल से ली गई है।

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