रांची, झारखंड | अक्टूबर 2025
आदिवासी समाज की आवाज़ और संस्कृति को सिनेमा के माध्यम से सामने लाने के उद्देश्य से झारखंड की राजधानी रांची में पहली बार ‘धरती आबा जनजातीय फिल्म फेस्टिवल 2025’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन अपने आप में ऐतिहासिक रहा, क्योंकि यह देश का पहला ऐसा फिल्म महोत्सव है जो पूरी तरह से जनजातीय सिनेमा को समर्पित था।
यह फेस्टिवल झारखंड सरकार तथा भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। आयोजन स्थल था — डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण अनुसंधान संस्थान (TRI), रांची।
मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने इसका उद्घाटन किया। उनके साथ कार्यक्रम में जनजातीय कार्य विभाग के सचिव कृपा नंद झा, निदेशक करमा जिम्पा भुटिया, और विशेष सचिव नेलसन बागे भी उपस्थित थे।
इस फेस्टिवल का मूल उद्देश्य था —
जनजातीय समाज की संस्कृति, परंपरा और विचारधारा को सिनेमा के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना।
युवा आदिवासी फिल्मकारों को एक ऐसा मंच देना जहाँ वे अपनी कहानियाँ अपनी भाषा और दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर सकें।
विकास, विस्थापन, पहचान और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर संवेदनशील संवाद की शुरुआत करना।
फेस्टिवल की रूपरेखा
तीन दिवसीय इस आयोजन में कुल 52 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। इनमें फीचर फिल्में, शॉर्ट फिल्में, लंबी व लघु डॉक्यूमेंट्री शामिल थीं। फिल्मों का चयन भारत के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों — झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्व, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत — से किया गया था।
फिल्मों में आदिवासी जीवन, प्रकृति, रीति-रिवाज, प्रेम, संघर्ष और सांस्कृतिक अस्मिता की कहानियाँ केंद्र में थीं। दर्शकों के बीच इन फिल्मों को देखने को लेकर विशेष उत्साह देखा गया।
विजेता फिल्में और पुरस्कार
समापन समारोह में विभिन्न श्रेणियों में कुल 13 फिल्मों को पुरस्कृत किया गया।
फीचर फिल्म श्रेणी
पुरस्कार फिल्म का नाम
प्रथम पुरस्कार Yeksik’s Daughter
द्वितीय पुरस्कार Celestina & Lawrence
तृतीय पुरस्कार Divorce (निर्देशक – सकम ओरेक)
शॉर्ट फिल्म श्रेणी
पुरस्कार फिल्म का नाम
प्रथम पुरस्कार Cross Road
द्वितीय पुरस्कार Puisa Dare
तृतीय पुरस्कार Papaya
लांग डॉक्यूमेंट्री श्रेणी
पुरस्कार फिल्म का नाम
प्रथम पुरस्कार Banded
द्वितीय पुरस्कार The Bird, The Priest
शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री श्रेणी
पुरस्कार फिल्म का नाम
प्रथम पुरस्कार Rukhu Matir Duku Majhi
द्वितीय पुरस्कार Zameen Ma Ka Phool
तृतीय पुरस्कार Man, Melody & Dals
धरती आबा — आदिवासी चेतना का प्रतीक
फेस्टिवल का नाम ‘धरती आबा’ झारखंड आंदोलन के महानायक बिरसा मुंडा को समर्पित था, जिन्हें धरती आबा यानी “धरती पिता” के रूप में पूजा जाता है। यह नाम इस बात का प्रतीक है कि यह आयोजन केवल फिल्मों का महोत्सव नहीं, बल्कि आदिवासी चेतना और आत्मसम्मान का उत्सव था।
यह फेस्टिवल आदिवासी समाज के लिए एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जा रहा है। फिल्मों के माध्यम से जिस प्रकार उनकी भाषा, गीत, नृत्य, और विश्वदृष्टि सामने आई, उसने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया।
फिल्मकारों ने भी माना कि यह मंच उनके लिए “पहचान की पुकार” जैसा है — जहाँ उनकी कहानियाँ पहली बार मुख्यधारा के दर्शकों तक पहुँचीं।
प्रथम धरती आबा फिल्म फेस्टिवल ने यह साबित कर दिया कि जनजातीय सिनेमा अब हाशिये का नहीं रहा, बल्कि वह भारतीय सिनेमा की मुख्यधारा में अपनी जगह बना रहा है।
यह आयोजन न केवल फिल्मों का महोत्सव था, बल्कि आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और सृजनशीलता का उत्सव था।