कर्नाटक में कुरुबा समुदाय को ST दर्जा देने पर विवाद तेज

कर्नाटक की राजनीति इस समय एक नए विवाद में उलझी हुई है। राज्य की बड़ी आबादी वाले कुरुबा समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आगे बढ़ा रहे हैं।

लेकिन इस कदम का वाल्मीकि और नायक समुदाय कड़ा विरोध कर रहा है। उनका तर्क है कि इससे पहले से ही ST श्रेणी में शामिल जनजातीय समुदायों के अधिकार प्रभावित होंगे।

प्रस्ताव और विरोध

सरकार की योजना थी कि बीदर, यदगिर और कलबुर्गी जिलों में रहने वाले कुरुबा समुदाय को ST दर्जा दिया जाए। इसके लिए सोमवार या मंगलवार को प्रस्ताव पारित करने की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन अंतिम क्षण में बैठक रद्द कर दी गई।

जानकारी के अनुसार, यह निर्णय वल्मीकि पीठ के प्रमुख स्वामी वाल्मीकि प्रसन्नानंद के हस्तक्षेप के बाद लिया गया। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री को फोन कर आपत्ति जताई, जिसके बाद अधिकारियों को बैठक रोकने का आदेश दिया गया।

वाल्मीकि और नायक समुदाय का मानना है कि यदि कुरुबा समुदाय को ST दर्जा मिल गया तो मौजूदा 7% ST आरक्षण में उनकी हिस्सेदारी घट जाएगी। यह आरक्षण पहले 3% था जिसे हाल ही में बढ़ाकर 7% किया गया है। वाल्मीकि समुदाय का कहना है कि यह बढ़ोतरी लंबे संघर्ष के बाद मिली है और वे अब इसे किसी और के साथ साझा नहीं करना चाहते।

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कुरुबा समुदाय की स्थिति

वर्तमान में कुरुबा समुदाय OBC की 2A श्रेणी में आता है, जहां लगभग 15% आरक्षण है। इस 15% में से अकेले कुरुबा समुदाय को लगभग 7% का लाभ मिलता है। अब उनकी मांग है कि उन्हें ST में शामिल किया जाए ताकि वे और अधिक योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकें।

कुरुबा समाज का तर्क है कि यदि उन्हें ST दर्जा दिया जाता है तो ST आरक्षण का प्रतिशत भी बढ़ाया जाना चाहिए, न कि वर्तमान आरक्षण में कटौती करके हिस्सा दिया जाए।

राजनीतिक पहलू

इस विवाद का राजनीतिक रंग भी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को जानबूझकर हवा दे रही है ताकि आगामी सत्ता हस्तांतरण में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को डी.के. शिवकुमार के सामने मजबूती मिल सके। नवंबर में मुख्यमंत्री पद बदलने की योजना है, और यह विवाद उस समीकरण को सीधे प्रभावित कर सकता है।

विरोधियों की मांग

वाल्मीकि और नायक समुदाय ने साफ किया है कि वे किसी भी समाज के विकास के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन उनका कहना है कि ST में शामिल करने से पहले सामाजिक और जातीय अध्ययन (Ethnographic Study) होना आवश्यक है।

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साथ ही, वे यह भी चाहते हैं कि अगर कुरुबा समुदाय को ST दर्जा दिया जाता है, तो आरक्षण प्रतिशत और विधानसभा-संसदीय सीटों की संख्या में भी समानुपातिक बढ़ोतरी हो।

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