Vijay Oraon

Journalist

आदिवासी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है

 विश्व आदिवासी दिवस International Day of world’s Indigenous People संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार पूरे विश्व में आदिवासियों की 5 फीसदी आबादी है, लेकिन विश्व की गरीबी में उनकी हिस्सेदारी 15 फीसदी है। इसमें आदिवासियों की अपनी 7 हजार भाषाएं है व 5 हजार विभिन्न संस्कृतियां है। आदिवासी दिवस मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक…

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बिहार पिछड़ा हुआ क्यों है? वहाँ के लोग देशभर में मजदूरी के लिए पलायन क्यों करते हैं?

किसी से ऊपर वाला सवाल पूछिए, तो जवाब मिलेगा कि भई बिहार में शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, औद्योगिक विकास नहीं हुआ है, कृषि पर निर्भरता, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक और प्रशासनिक समस्या, मूलभूत संरचना की कमी और ब्ला ब्ला। पूरी दुनिया में किसी से पूछिए कि बिहार की धरती क्यों जाना जाता या…

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क्या है गोवा दिवस? जानिए, इसके इतिहासिक राज्य बनने की कहानी।

गोवा राज्य दिवस, जो हर साल 30 मई को मनाया जाता है, उस दिन की याद दिलाता है जब 1987 में गोवा को राज्य का दर्जा दिया गया और यह भारत का 25वां राज्य बन गया। यह घटना क्षेत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी, जो एक पुर्तगाली उपनिवेश से एक संघ…

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Why tribals demand exclusion from ST list to converted tribals?

The demand for exclusion of converted tribals from the Scheduled Tribes (ST) list is a complex and contentious issue in India, particularly among tribal communities. This demand stems from various factors, including questions of identity, social status, political representation, and access to benefits. Here, we explore these aspects in detail to understand the reasons behind…

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संथाल परगना में बांग्लादेशी मुस्लिम की आबादी बढ़ने से आदिवासियों पर क्या प्रभाव पड़ने लगा है?

संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी मुसलमानों की उपस्थिति सामाजिक-राजनीतिक चिंता और बहस का विषय रही है। संताल परगना, जो पारंपरिक रूप से एक आदिवासी क्षेत्र है, संताल जनजाति और अन्य स्वदेशी समुदायों का घर है। हालांकि, वर्षों से, बांग्लादेशी मुसलमानों के प्रवास की रिपोर्टें आई हैं, जिससे क्षेत्र में जनसांख्यिकीय, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव पड़े…

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सरना धर्म कोड क्या है और इसकी चुनौतियाँ क्या है?

परिचय सरना धर्म कोड भारत के आदिवासी समुदायों, विशेषकर झारखंड राज्य में, एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है। “सरना” शब्द उन पवित्र उपवनों(आदिवासी धर्म स्थल, जिन्हें विभिन्न समुदायों में चाला टोंका, जाहेर थान, देशावली आदि के नाम से जाना जाता है) को संदर्भित करता है जहाँ आदिवासी समुदाय प्रकृति की पूजा…

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झारखंड में आदिवासी अस्मिता की क्या स्थिति है?

झारखंड में आदिवासी पहचान का एक अनूठा और महत्वपूर्ण स्थान है, जो राज्य के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। झारखंड, जिसे 2000 में बिहार से अलग किया गया था, मुख्य रूप से अपने आदिवासी समुदायों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनाया गया था। ये आदिवासी राज्य की आबादी का…

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जिन्हें मिल चुका लाभ, वे आरक्षण श्रेणी से निकलें बाहर: SC

सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की संविधान पीठ ने आरक्षण के मुद्दे पर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि जिन जातियों को लाभ मिला, उन्हें आरक्षण श्रेणी से बाहर निकलना चाहिए. आरक्षण का लाभ मिल गया हो तो उस वर्ग को अति पिछड़ों के लिए रास्ता तैयार करना चाहिए. मंगलवार को सुनवाई…

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संविधान सभा में जयपाल सिंह मुंडा ने क्यों कहा था कि हमारे साथ छह हजार साल से घिनौना व्यवहार किया जा रहा है

जयपाल सिंह एक असाधारण छात्र, एक शिक्षक और औपनिवेशिक प्रशासक, एक उत्कृष्ट खिलाड़ी, एक शानदार वक्ता, एक दृढ़ निश्चयी राजनेता और आदिवासी अधिकारों के इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति थे. वे पूर्वी भारत में बिहार (वर्तमान झारखंड) प्रांत में मुंडा जनजाति के एक परिवार में छोटानागपुर क्षेत्र के एक छोटे से आदिवासी गाँव में 3…

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